Wednesday, September 18, 2019

बेटी

                           ---  बेटी ---

"बेटी हुई हैं";  सुनकर चेहरे मायूस हो गये |
माँ को सदमा लगा, और समाप्त बेटी के आयुष हो गये ||

ये कहानी किसी घर की नहीं, सिलसिला न थमता था |
पर उस ज़माने में भी, वक़्त तो बदलता था ||

कुछ लोगों ने बेटी को अपनाया, बेटी लक्ष्मी हैं, कहलाया |
बेटी लक्ष्मी का रूप हैं, जाकर सबको बतलाया ||

ये बस एक  दिलासा थी , बेटी के जीने की आशा थी |
पर तरकीब ने काम किया, और देखो "जी रही हैं बेटियां" ||

ज़माना अब बदल गया, बेटियों का जादू फिर चल गया |
अब कोई शोक-संताप नहीं,  बेटी कोई अभिशाप नहीं ||

तू लक्ष्मी हैं या सरस्वती, ये तो तेरा भाग्य हैं बेटी,
हमारी तो बस बेटी हैं, और हमारा सौभाग्य हैं बेटी ||

                                                      मुकेश कुमार भंसाली
                                                      १८/९/२०१९