मायाजाल
एक साल बड़ा बेमिसाल , कितनी मस्ती , कितना धमाल ,
बिंदास अदाएं, मदमस्त हवाएं और वो बिन जुम्मे की दुआएं|
एक साल बड़ा बेमिसाल , कितनी मस्ती , कितना धमाल ,
बिंदास अदाएं, मदमस्त हवाएं और वो बिन जुम्मे की दुआएं|
वो खुशहाल दिन और नशीली रातें, वो खुमारी में डूबी हसीं बरसातें,
कितना दिलखुश और खुशमिजाज़, दुनिया नहीं रोक पायेगी आज |
कितने दोस्त कितने साथी, कोई बेख़ौफ़, कोई जज्बाती,
जॉब भी लगी और कमाने लगा लाल,
पढने का वो अंतिम साल........
ऐ जिंदगी एक पल में तूने कितना दिखा दिया, पर वक़्त ने अब कुछ और सिखा दिया,
कितना कुछ बदल गया हँसते हंसते, अब हंसी से ही ऊब गए, ना किसी को सताते|
घनी वादियाँ वीरान हो गयी, तन्हाई फिर से मेहरबान हो गयी,
मुस्कान तोड़ के निकले सन्नाटे, सीना फोड़ के निकले हैं कांटे|
"अब दिल को और क्या चाहिए, करता रहूँ बस यही सवाल",
पढने का वो अंतिम साल..........
सब कुछ तो इतना ठीक चला, फिर पैसा ही क्यूँ बना बला,
हँसता तो मैं अब भी हूँ पर चुप क्यूँ हैं ये मन मनचला|
साथ मेरे आज जनमत हैं, पूरी होती हसरत हैं,
फिर क्यूँ ये दिल तन्हा हैं, क्यूँ दुनिया से नफरत हैं||
देख मुझे जन्नत में कभी, इन्द्र ने चली एक गहरी चाल,
स्वर्ग का शासन पाने को पुनः, उसी ने बुना ये मायाजाल.....
पढने का वो अंतिम साल........
कितने दोस्त कितने साथी, कोई बेख़ौफ़, कोई जज्बाती,
जॉब भी लगी और कमाने लगा लाल,
पढने का वो अंतिम साल........
ऐ जिंदगी एक पल में तूने कितना दिखा दिया, पर वक़्त ने अब कुछ और सिखा दिया,
कितना कुछ बदल गया हँसते हंसते, अब हंसी से ही ऊब गए, ना किसी को सताते|
घनी वादियाँ वीरान हो गयी, तन्हाई फिर से मेहरबान हो गयी,
मुस्कान तोड़ के निकले सन्नाटे, सीना फोड़ के निकले हैं कांटे|
"अब दिल को और क्या चाहिए, करता रहूँ बस यही सवाल",
पढने का वो अंतिम साल..........
सब कुछ तो इतना ठीक चला, फिर पैसा ही क्यूँ बना बला,
हँसता तो मैं अब भी हूँ पर चुप क्यूँ हैं ये मन मनचला|
साथ मेरे आज जनमत हैं, पूरी होती हसरत हैं,
फिर क्यूँ ये दिल तन्हा हैं, क्यूँ दुनिया से नफरत हैं||
देख मुझे जन्नत में कभी, इन्द्र ने चली एक गहरी चाल,
स्वर्ग का शासन पाने को पुनः, उसी ने बुना ये मायाजाल.....
No comments:
Post a Comment