प्यार
नीला आसमान अब काला हो चला हैं; रात घिर आई, ये अँधेरा एक बला हैं|
पर इन तारों का मोह मुझसे छुटता ही नहीं, और एक तारा आसमान से टूटता ही नहीं||
बस देखता ही रहा कुछ कर न सका,ये मुझ तक नहीं पहुंचे मुझे कोई रास्ता ना दिखा|
में जाऊं अब जहाँ जहाँ, ये दिखते मुझको वहां वहां,
मेरा प्यार और बढ़ गया, जैसे कोई नशा चढ़ गया|
पर आखिर मैं घर को गया और खाना खा कर सो गया,
सपनों में तारे मिलने आये, शायद उन्हें भी मुझसे प्यार हो गया||
वो भी मजबूर, मेरी मजबूरी
सपनों में मिलन, हकीकत में दूरी;
अधूरी जिन्दगी, सपने जरूरी
इस थोड़ी सी खुशी में निकली जिन्दगी ये पूरी|
एक दिन में भी चल बसा, इस दुनिया से रवाना हुआ,
ऊपर मुझे जन्नत मिली, में भी एक तारा हुआ.....
विदा.......
DATE: 8th DEC., 2009
MUKESH BHANSALI
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