जब मैं छोटा बच्चा था, खुद में खोया रहता था ।
दुनिया बेचैनी में जगती थी, मैं चैन से सोया रहता था ।।
फिर मैं थोडा बड़ा हुआ, चैन से सोकर खड़ा हुआ;
बाहर मस्त सवेरा था, और सूरज भी अभी सुनहरा था ।
मैं ठंडी हवा में था घूमने निकला, बस वहीँ से हवाओं ने था रूख बदला ।।
मैं कुछ और बड़ा हुआ, .सूरज था सिर पे जड़ा हुआ ।
मैं अब काम भी करने लगा, मेरा रूतबा भी बढ़ने लगा ।।
फिर ठंडी हवा का झोंका आया, कितने सपने साथ लाया,
फिर दिन रात इतना व्यस्त हो गया, वो सूरज तो कब का अस्त हो गया ।।
हवाएं अब भी चलती हैं, दुपहर अब भी जलती हैं;
पर सब कुछ इतना सूना हैं की अहसास नहीं होता।
हर हादसा बस एक खबर हैं, कुछ खास नहीं होता ।।
खुद में खोया रहता था, अब खुद को कहीं खो दिया ।
कैसे मैं, जलती मसाल की, जिन्दा मिसाल हो गया ।।
सब कुछ तो हैं मेरे पास, पर न जाने कौनसा लफड़ा हो गया ।
माँ मुझे गौर से देख, क्या मैं ज्यादा बड़ा हो गया ?
दुनिया बेचैनी में जगती थी, मैं चैन से सोया रहता था ।।
फिर मैं थोडा बड़ा हुआ, चैन से सोकर खड़ा हुआ;
बाहर मस्त सवेरा था, और सूरज भी अभी सुनहरा था ।
मैं ठंडी हवा में था घूमने निकला, बस वहीँ से हवाओं ने था रूख बदला ।।
मैं कुछ और बड़ा हुआ, .सूरज था सिर पे जड़ा हुआ ।
मैं अब काम भी करने लगा, मेरा रूतबा भी बढ़ने लगा ।।
फिर ठंडी हवा का झोंका आया, कितने सपने साथ लाया,
फिर दिन रात इतना व्यस्त हो गया, वो सूरज तो कब का अस्त हो गया ।।
हवाएं अब भी चलती हैं, दुपहर अब भी जलती हैं;
पर सब कुछ इतना सूना हैं की अहसास नहीं होता।
हर हादसा बस एक खबर हैं, कुछ खास नहीं होता ।।
खुद में खोया रहता था, अब खुद को कहीं खो दिया ।
कैसे मैं, जलती मसाल की, जिन्दा मिसाल हो गया ।।
सब कुछ तो हैं मेरे पास, पर न जाने कौनसा लफड़ा हो गया ।
माँ मुझे गौर से देख, क्या मैं ज्यादा बड़ा हो गया ?
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