Monday, December 12, 2011

ख्वाहिशें

                        ----ख्वाहिशें----
                       

ये जिंदा दिली, ये खुश मिजाजी, शेर-सा जिगर और शौक नवाबी |
        अनंत खुशियों का दौर हैं, सागर की लहरों-सा शोर हैं ||
भाग्य ने दिये, नजराने, नुमाइशें, और ये मेरी हसीन ख्वाहिशें |
   

सब तरफ से सुख आता हैं, दुःख आने से शर्माता हैं,
    यार भी मिलते हँसते-हँसते, ये हसीन पल भी कितने सस्ते |
न जाने गम कहाँ गुम हैं, क्यूँ इतना गुमशुम हैं,
    बस एक ही चीज़ बदल रही थी, लोगों ने वक़्त कहा उसे ||
                                    मेरी हसीन ख्वाहिशें......

अब सुख की चादर फटने लगी, दुःख की शर्म भी हटने लगी,
    हसीन पल भी बूढ़े हो चले, मन बदले और बदले मनचले |
हमने खुशियाँ पैसों से तोली, बच्चा बोले अब बनिये की बोली,
    दिल्लगी का मौसम अब भी हैं, पर खुद से मोहब्बत हैं किसे ?
घटायें अब भी करती हैं बारिशें, मुझको खाती मेरी ही ख्वाहिशें,
    क्या नज़राने और क्या नुमाइशें, अब हैं मेरी असीम ख्वाहिशें................

                                                     खुदा हाफिज़
                                                     मुकेश कुमार भंसाली
                                                     मई 22, 2011

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