तारीफ
तेरे बगैर,
जहाँ गैर सा लगता हैं,
तेरे संग सपना भी अपना
सा लगता हैं ।
मेरी
इबादतों में तेरा ही तेरा
ज़िक्र हुआ हैं, खुदा
से जो मांगता रहा, तू
वो ही हसीन दुआ हैं ।।
तुझे पा
लेना, एक सपने को
जी लेने जैसा हैं, तेरे
लिए इस दिल में इश्क-ए-जूनून
ऐसा हैं ।
तेरा हुस्न
भी एक सितम, और सितम
भी एक हसीन हरक़त हैं ।
तू जन्नत
की अप्सरा हैं या खुदा की नेक
बरक़त हैं ।।
तुझे देखकर
आँखों का नूर बढ़ा हैं, और
अब मुझे कुछ और नहीं दिखता,
सामने हुजूर खड़ा हैं
।।